15 फीट लंबा दैत्य (राक्षस) बनाते हैं और उसके ऊपर 10 फीट बड़े गणेश जी को खड़ा करते हैं! यह कहाँ तक की समझदारी है। क्या आपको पता नहीं है इस 25 फीट की प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए कितना पानी और समय लगने वाला है?

एक मूर्तिकार बड़ी मेहनत और लगन से मूर्ति तैयार करता है। 10 दिन हम लोग धूमधाम से गणेश जी की पूजा करते हैं। अनंत चतुर्दशी पर विसर्जित करने के लिए पानी में उन्हें बहा देते हैं। हम तो खुश हो जाते हैं कि हमने हमारा कर्तव्य निभा लिया। लेकिन वह मूर्ति पूरी तरह से विसर्जित भी नहीं हो पाती है। खंडित होकर टुकड़ों में कई जगहों पर पड़ी रहती है! जिसे देखकर सच में दिल को बहुत ही आघात लगता है, पीड़ा होती है।

हम यह कैसा त्योहार मना रहे हैं? एक दूसरे की देखा देखी में होड़ में लगे हैं। यह भी नहीं सोच रहे हैं कि इसका परिणाम क्या होगा?? गणेश चतुर्थी जरूर मनाएँ, गणेश जी को भी लेकर आए। लेकिन मेरा आप सभी लोगों से हाथ जोड़कर निवेदन है 5 फीट से बड़ी प्रतिमा बिल्कुल भी ना लाएं।

आजकल एक और बहुत ही विपरीत चीज देखने को मिल रही है। कुछ जगहों पर एक ही सोसाइटी में दो-दो गणेश जी की प्रतिमा स्थापित हो रही है। इसके अलावा कुछ लोग अपने घर में भी गणेश जी को लाकर विराजमान करते हैं। इस बात का आप लोग खास ध्यान रखें माटी की मूर्ति ही लायें।

यदि मूर्ति छोटी होगी तो उनका विसर्जन हम हमारे ही परिसर में अच्छे से कर सकेंगे और इससे अच्छी तो कोई बात हो ही नहीं सकती। अगर हो सके तो तीन-चार सोसाइटी जो आसपास की होती है उनके बीच में एक गणेश जी लेकर आए इससे चार बहुत अच्छी बातें होंगी।
1)  एक दूसरे के साथ आपस में भाईचारा बढ़ेगा।
2) गणेश जी की प्रतिमाओं का इस तरह अपमान नहीं होगा।
3) जिन्हें हम जानते भी नहीं है उनसे भी निकटता बढ़ेगी।
4) हमारी आने वाली भावी पीढ़ी को एक नई राह मिलेगी।

अब अगर गणेश जी की प्रतिमा की बात करें तो जो हमारे गणेश जी का वास्तविक स्वरूप है वही प्रतिमा लेकर आए। सिक्स पैक गणेश जी, बॉडीबिल्डर गणेश जी, सिंघम गणेश जी इस तरह की मूर्ति बननी ही बंद होनी चाहिए।  जब इस तरह की मूर्ति का हम चयन ही नहीं करेंगे तो मूर्तिकार इस तरह की मूर्ति नहीं बनाएंगे और हमारे भगवान का मजाक नहीं बनेगा।  हमारा हिंदू धर्म सनातन धर्म एक परिहास बनकर रह गया है।  दूसरे धर्म के लोग हमारी इस तरह की मूर्तियाँ देखकर हँसते हैं ।

गणेश जी के बड़े-बड़े मंडप में इस तरह के नारे गूंजते हुए सुनाई देते हैं। सबसे बड़ा डॉन कौन है गणपति बप्पा मोरिया!! हमारे सिंघम गणपति बप्पा!! बड़े-बड़े लाउडस्पीकर पर डीजे पर नाच गाने होते हैं। इन सबके बीच में ऐसा प्रतीत होता है कि हमारी भक्ति तो कहीं एक कोने में दूर दुबक कर खड़ी है और चुपचाप ये तमाशा देख कर विलाप कर रही है !!

लिखने में तो मैं इस पर और बहुत कुछ लिख सकता हूँ।  लेकिन मैं इसे लंबा चौड़ा लेख बनाकर लोगों को बोर नहीं करना चाहता। ना ही मैं यह चाहता हूँ कि यह सिर्फ मोबाइल में पड़ा रहे। लिखने का कारण यही है आप लोग इसे पढ़ें, समझें और अमल में लाएँ।  मेरी आप लोगों से बस हाथ जोड़कर यही प्रार्थना है,  गुजारिश है।

गणेश चतुर्थी कार्यक्रम को करने के लिए हम लोग  जो चंदा इकट्ठा करते हैं। उन्हीं पैसों से इन्हीं 10 दिनों में से एक दिन महाप्रसाद का आयोजन करते हैं।  जिसमें हम लोग सोसाइटी के लोगों को भरपेट भोजन कराते हैं। मैं एक बात कहना चाहता हूँ यदि इन पैसों से गरीबों को खाना खिलाया जाए तो यकीन मानिए जितनी खुशी आप लोगों को खाना खाकर नहीं हुई है उसे 10 गुना ज्यादा खुशी आपको उन्हें खाना खिलाकर होगी।

मैं जानता हूँ मेरी यह बातें कुछ लोगों को पसंद नहीं आएगी। कुछ लोग मेरी अवहेलना भी करेंगे। यहाँ तक की कुछ मुझे अपशब्द भी कहेंग।  लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैंने अपनी मन की पीड़ा को, अपने दिल के भावों को काग़ज पर उतारा है और इस लेख के जरिए आप लोगों तक पहुँचाया है।

जल्द ही यह समाचार पत्र में भी प्रकाशित होगा और वीडियो भी बनेगी। अगर पसंद आए तो आप लोग भी इसे जरूर साझा करें। कॉपी पेस्ट ना करके, शेयर करें। एक अच्छे नागरिक ही नहीं सच्चे भक्त होने का भी फर्ज अदा करें। इसे पढ़ने और साझा करने के लिए आप सभी लोगों का धन्यवाद, आभार जय हिंद जय भारत वंदे मातरम।

“गणपति बप्पा मोरिया”

 सुमित मानधना ‘गौरव’

सूरत ( गुजरात )

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