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बनना है सेना का जवान | Kavita banna hai sena ka jawan
बनना है सेना का जवान ( Banna hai sena ka jawan ) जन्म हुआ था जब मेरा इस धरती पर, खुशियाॅं नही थी परिवार के चेहरों पर। लेकिन ख़ुश था यह सारा प्यारा जहां, ये धरती अंबर प्रकृति और गगन यहां।। ख़ुशी थी मेंरे माॅं एवं बापू के चेहरे पर, लेकिन झलकी…
शहर आया तेरी दोस्ती के लिये!
शहर आया तेरी दोस्ती के लिये! शहर आया तेरी दोस्ती के लिये! वरना मेरा नहीं कोई है शहर में बेदिली से बातें मत कर मुझसे सनम और भी वरना मकां है शहर में माना है तुझको हमेशा अपना है ग़ैर तुझको अब नहीं कर सकता हूँ तोड़ दूँ कैसे भरा दिल…
मानव, पानी और कहानी
मानव, पानी और कहानी जीवन झर झर झरता, है झरने सा, झरना झर झर बहता, है जीवन सा, मानव के ऑखो मे पानी, नदी, कूप, तालों मे पानी, पानी की कलकल है जरूरी, ऑखों की छलछल है जरूरी, मानव, पानी और कहानी, है धरती की यही निशानी, जीवन की जो कहानी है, झरने में…
पुत्री का पिता | Putri ka Pita
पुत्री का पिता ( Putri ka pita ) Father’s day special kavita पिता के कंधे की मजबूती बेटी के लिए साहस और गर्व का प्रतीक है होती। उसे समाज में अपने बढ़ते कदमों की तब चिंता नहीं होती तब उसकी उम्मीदें, धुंँधलाती नहीं हैं अंधेरों में छुपकर अपनी चमक गंँवाती नहीं हैं। जिन…
जो कुछ उम्दा | Jo Kuch Umda
जो कुछ उम्दा ( Jo kuch umda) नया / पुराना / अभी का/ तभी का जो कुछ भी है/ जहांँ भी/कहीं का/ हर क्षेत्र का/ हर विधा का/ बस वही रहे /जो है उम्दा सर्वप्रिय/ मंगलकारी सत्यम/ शिवम/ सुंदरम सा जिससे हो अपना/ देश का भला बाकी सब /उखाड़ फेंको बाहर का/ दरवाजा दिखा…
खुशियों की कैसी जिद्द तेरी | Poem Khushiyon ki Zid
खुशियों की कैसी जिद्द तेरी ( Khushiyon Ki kaisi Zid Teri ) ग़मों की वो शाम थी,बनी है लम्बी रात सी। अन्धियारा जीवन है, अन्धियारा दूर तक। खुशियों की कैसी जिद्द तेरी……. कहों तो सब बोल दूँ, ग़मों के पट खोल दूँ। चाहत के रिसते जख्म, दिखते है दूर तक। खुशियों की कैसी…