सौभाग्य का व्रत | Kavita
सौभाग्य का व्रत
( Saubhagya ka vrat )
धन्य है हमारी आदिशक्ति भारत की नारी
तन मन प्राण से व्रत का पालन करती सारी
कभी नही कहती वो अपने मन की अभिलाषा
सुख,वैभव,यश,शांति,आरोग्य की करती आशा
हे अर्धांगिनी अमरत्व मिले जगती तल में तुमको
साक्षात श्री सौभाग्यशाली हो बनाती तुम सबको
महागौरी अपने प्राणेश के दीर्घायु जीवन के लिए
कार्तिक चतुर्थी व्रत करती सुहाग की रक्षा के लिए
प्रियवर के सपनों को करती है पूर्ण साकार
सुहागिन का व्रत लेकर सजती है सोलह श्रृंगार
युग युग से नारी महिमा जग करती सत्कार
करवा चौथ के व्रत करवा महिमा है अपरंपार
धन वैभव यश कीर्ति सुख शांति निज परिवार
निराहार व्रत पूजन अर्घ्य से करती देव सत्कार
ग्रह नक्षत्र स्वर्ग सदृश्य करती जीवन साकार
त्याग सतीत्व ममत्व पावन की मूरत आकार
सौभाग्यशाली अजय अभय हों निज प्राणेश
सदा सहाय बनाय रखें महागौरी संग गणेश