जीने की कला | Jeene ki Kala

जीने की कला

( Jeene ki kala ) 

 

माना की कठिनाइयां बहुत है
संघर्ष भरे जीवन और
प्रतिस्पर्धा से भरी इस युग में
फुर्सत और सुकून का होना
एक बहुत ही कठिन चुनौती है

तो क्या यही जीवन है
इसे ही स्वीकार कर लें
और छोड़ दें हर खुशी
भूल जाए मुस्कान और हर हंसी !!

रात में भी तारों का निकलना
अंधेरे में जुगनुओं का चमकना पहाड़ से गिरती नदी का झरनों में बदलना
पत्थरों से टकराकर भी प्रवाह का शीतल होना
हमें यह नहीं सिखाता कि विषम को भी सम बना लेना ही जीवन की विशेषता है
जीवन के हर लम्हों को हंस कर जी लेना ही जीवन है??

परिस्थितियाँ तो आती ही है
जाने के लिए
आप हंसकर स्वीकारें या रोकर
समय को आप टाल नहीं सकते
उसे बदल सकते हैं
और बदलने की कला ही
आपके जीवन को सफल बनाती है

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

डर | Darr

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *