ओस की बूंदे | Kavita
ओस की बूंदे
( Os ki boonde : Kavita )
( Os ki boonde : Kavita )
कभी तुम भी ( Kabhi Tum Bhi ) तौल तो लेते हो हर किसी को देखकर कभी खुद को भी तौल लिया करो बोल तो देते हो जो आये जबान पर कभी खुद के लिए भी बोल लिया करो उसके बनाई का श्रम मालूम है उसे उस जैसी मेहनत खुद भी कर लिया करो…
सबसे जुदा अपनी अदा ( Sabse juda apni ada ) सबसे जुदा अपनी अदा लगे मनभावन सी। इठलाती बलखाती और बरसते सावन सी। हंसता मुस्कुराता चेहरा अंदाज निराला है। खुशियों में झूमता सदा बंदा मतवाला है। मदमस्त चलता चाल मनभावन से नजारे हैं। सारी दुनिया से हटकर नखरे उसके न्यारे हैं। …
धीरे-धीरे ( Dhire Dhire ) साजिश का होगा,असर धीरे-धीरे। फिजाँ में घुलेगा ,जहर धीरे-धीरे। फलाँ मजहब वाले,हमला करेंगे, फैलेगी शहर में,खबर धीरे-धीरे। नफरत की अग्नि जलेगी,हर जानिब, धुआँ-धुआँ होगा,शहर धीरे-धीरे। मुहल्ला-मुहल्ला में,पसरेगा खौप, भटकेंगे लोग दर,बदर धीरे-धीरे। सियासत के गिद्ध,मँडराने लगेंगे, लाशों पर फिरेगी,नज़र धीरे-धीरे। कवि : बिनोद बेगाना जमशेदपुर, झारखंड…
शर्मनाक स्थिति ( Sharmanak sthiti ) ऐसे पिट रहा है साहेब का विदेशों का डंका, आग लगा के रख दी स्वयं की लंका। शवों पर चढ़ शान से सवारी करते रहे, आॅक्सीजन के अभाव में भले हम दम तोड़ते रहे। बिछ गई लाशें चहुंओर, पर थमा ना चुनाव और नारों का शोर। अब मद्रास…
शान्ति दूत ( Shanti doot ) हम है ऐसे शान्ति के दूत, माॅं भारती के सच्चे सपूत। वतन के लिए मिट जाएंगे, क्योंकि यही हमारा वजूद।। सीमा पर करते रखवाली, सेवा निष्ठा के हम पुजारी। देश भक्त निड़र व साहसी, हर परिस्थितियों के प्रहरी।। जीना- मरना इसी के संग, बहादूर एवं सैनिक…
साहब ( Sahab ) जब भी मुॅंह को खोले साहब। कड़वी बोली बोले साहब। नफरत दिल में यूॅं पाले हैं, जैसे साॅंप, सॅंपोले साहब। राजा के संग रंक को क्यों, एक तराजू तोले साहब। भीतर कलिया नाग बसा है, बाहर से बम भोले साहब। वोट के लिए दर-दर घूमे, बदल-बदल…