Sawan Mahina
Sawan Mahina

सावन मास है आया

( Sawan mass hai aya )

 

हरा भरा यह दृश्य देखकर मन सभी का हर्षाया,
खुशियों की प्यारी सौगातें सावन मास है लाया।
दुल्हन सी आज सजी वसुंधरा इंद्रदेव जो आया,
मन की बातें हम लिखें इसलिए क़लम चलाया।।

उमड़ घुमड़कर बादल आएं धरती को महकाया,
आसमान से इन्द्रदेव ने जलवा अपना दिखाया।
कोयल-मोर-पपीहा सभी ने अपनी राग सुनाया,
खीर पुरी हलुआ घर-घर में देखो सबने बनाया।।

मिट्टी का कण कण हर्षाया शान्त हुई यह काया,
प्यास बुझा कर धरा की ये बादल ताप मिटाया।
बरसा प्रेम धनाधन ऐसा ‌सुख-समृद्धि घर आया,
कर सोलह श्रृंगार वसुंधरा खुलकर है मुस्काया।।

भर गए सारे ताल तलैया फ़र्ज़ मेघराज निभाया,
सावन का ये पवित्र-महिना सबके मन है भाया।
देख नया दौर लहरियों का श्रीमति जी फरमाया,
अब तो दिला दो लहरियां सावन मास है आया।।

नही भाए हमें पायल कंगना न बिंदियां नथनिया,
आधुनिकता के दौर में बस दिलादो ये लहरियां।
तोहफ़ा कभी हमनें न मांगा ना ही आप दिलाया,
देखो पहनकर झूम रही आज हमारी सहेलियां।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here