सावन मनभावन | Sawan Manbhavan

सावन मनभावन

( Savan Manbhavan )

झूम झूम के सावन आया,
घूम-घूम के खुशियां लाया।

झन~झन करे झंकार ,
आवारा बदरा बरसाया।

घन-घन गरजती बौछारें
धूम धड़का कर धमकाए l

गर्जन-तर्जन करे दामिनी,
पुलक-पुलक पुलकाए l

चढ़ गई मौज बदरा को,
तो नदिया भर-भर लाये।
नाले-डबरे सारे भर गए,
गली में पानी बहता जाए l

छप-छप करता बचपना,
कागज की नाव बहाए l

घरौंदे खेलने वाले बच्चे
मिट्टी भर-भर लोंदे लाये।

हल जोतते बच्चे पानी में
दरवाजे पर बांध बनाये।

कंकड़-पत्थर मार-मार
भरे पानी में भंवर उठाये।

दादुर खुशी मना-मनाकर
टर्र-टर्र की राग भैरवी गाये।

झुर्र-झुर्र बोली झींगुर रानी
फुदक-फुदके धूम मचाये।

भरी डाबरी उछली मछली
जल में ठुमके पूंछ नचाये l

लेकर हल, हलधार भागे
खेतों में हरियाली लाये l

सर-सर चले पवन झकोरे
डाल-डाल पर इतराये।

बरसा ने हर्षाय है मन
दुखी गर्मी भागी जाए।

सावन आया मनभावन
भोले शंकर भी हैं आये l

प्रकृति हो गई है जीवंत
वन-उपवन रंग रंगाये l

Rajendra Rungta

राजेंद्र कुमार रुंगटा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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