स्कूल चले हम | School chale hum | Chhand
स्कूल चले हम
( School chale hum )
मनहरण घनाक्षरी
आओ स्कूल चले हम,
होकर तैयार चले।
पढ़ने को लेकर बस्ता,
पाठशाला जा रहे।
खुल गई स्कूले सारी,
मोटी मोटी फीस भारी।
कापी किताबें लेकर,
पढ़ने को जा रहे।
समय पर जगना,
समय पर ही सोना।
पहन ड्रेस हम भी,
विद्यालय आ रहे।
मौज मस्ती छुट्टी गई,
परीक्षाओं की तैयारी।
भविष्य बनाने हम,
दीपक जला रहे।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )