
आज पीते शराब देखा है
( Aaj peete sharab dekha hai )
जो नहीं है नसीब में मेरे
रात भर उसका ख़्वाब देखा है
रोज दीदार को तरसे जिसकी
आज वो बेनकाब देखा है
इसलिए दिल फ़िदा हुआ उसपर
एक चेहरा गुलाब देखा है
कॉल कैसे वही तुझे करता
फ़ोन उसका ख़राब देखा है
रोज़ जिसकी तारीफ़ की तुमने
तल्ख़ देते ज़वाब देखा है
ईद का कब मिला यहाँ मौसम
रोज़ ग़म का अजाब देखा है
बस गया रुह में मेरी आज़म
आज ऐसा शबाब देखा है