शिक्षक ही सच्ची प्रेरणा
शिक्षक ही सच्ची प्रेरणा
प्रणाम शब्द शेष हैं l क्यूंकि ?
वे देश के विशेष हैं ll
शिक्षक रूप सक्षिप्त नहीं l
शिक्षक रूप विस्तृत सही ll
तत्व से प्रकृति सजी l
गुण से उपदेष्टा सजे ll
समय बना पथिक रे l
तो गुरु बना अद्री रे ll
की विस्मरण शिष्टाचार l
लगाए शासन चार ll
महिमा उनकी अपरम्पार l
लगा सभका जीवन पार ll
हकीम , गुरु, इंजीनियर l
से सींचा समाज का उद्दार ll
समय बना पथिक रे l
तो गुरु बना अद्री रे ll
भूलकर अपनी वेदना l
प्रदान शिष्य साधना ll
न एक न दो कहना l
सारी अशुद्धि माफ़ करना ll
असफल में ली मम कक्षा l
दी मम सफल दिक्षा ll
समय बना पथिक रे l
तो गुरु बना अद्री रे ll
कहत कबीर ,
गुरु पारस को अन्तरो ,
जानत है सब संत l
वह लोहा कंचन करें ,
ये करि लये महन्त ll
है पावन अमृतवाणी l
यहीं अतेवासी की वाणी ll
समय बना पथिक रे l
तो गुरु बना अद्री रे ll
प्रशिक्षक श्रेठ , सम्मान पद है l
जिनसे मैथिली , दिनकर, पंत ,
प्रेमचंद , महादेवी , सुभद्राकुमारी ,
तथा रमन , कलाम, विश्वेश्रैय है ll
न्यावादी बाबासाहेब का शिष्य रूप ,
अ – आ से अं – अ: तक l
क – म से क्ष – ज्ञा तक ll
सृष्ट किए ज्ञान बीज l
बना सज्जन समाज ll
समय बना पथिक रे l
तो गुरु बना अद्री रे ll
वाहिद खान पेंडारी
( हिंदी : प्राध्यापक ) उपनाम : जय हिंद
Tungal School of Basic & Applied Sciences , Jamkhandi
Karnataka
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