Shiv Stuti | शिव-स्तुति
शिव-स्तुति
( Shiv Stuti )
ऐसे हैं गुणकारी महेश।
नाम ही जिनका मंगलकारी शिव-सा कौन हितेश।।
स्वच्छ निर्मल अर्धचंद्र हरे अज्ञान -तम- क्लेश।
जटाजूट में बहती गंगा पवित्र उनका मन-वेश।।
त्रिगुण और त्रिताप नाशक त्रिशूल धारे देवेश।।
त्रिनेत्र-ज्वाला रहते काम कैसे करे मन में प्रवेश।।
तमोगुणी क्रोधी सर्प, रखते वश, देते संदेश।
मृत्युंजय मुण्डमाल धारी यम को भी देते आदेश।।
वैराग्य की साक्षात् मूर्ति रहते वो दिगम्बर वेश।
बाघ-चर्म शत्रु संहारे पलभर में निज बल लवलेश।।
भक्ति ज्ञान वैराग्य दाता चाहूं तव कृपा विशेष।
योगेश लीन समाधि में बसो “कुमार” हृदय- प्रदेश।