शिव | Shiva kavita
शिव
( Shiva )
अंग भस्म रमाए बाबा, हे नंदी के असवार।
गंग जटा समाए बाबा, हे जग के करतार।
भोलेनाथ डमरू वाले, शिव सब देवों के देव।
खोलो पलकें ध्यान मग्न, भोले बाबा महादेव।
आया सावन उमड़ घुमड़, करते पूजा तेरी।
बिल पत्र दुग्ध जल चढ़ाए, नाथ सुनो मेरी।
गिरि कैलास पे वासा, बाबा गोरी के भरतार।
सोहे त्रिशूल कर में बाबा, भवसागर कर दो पार।
लंबोदर सुवन तिहारे, विघ्नहर्ता गणराज।
तेरी लीला तू ही जाने, विश्वनाथ नटराज।
अंतर्यामी घट घटवासी, भक्तों के प्रतिपाल।
सकल चराचर कर्ता, भोले शम्भू दीनदयाल।
बाघांबर आसन बिराजे, ले चिमटा धूनी रमाये।
भंग धतूरा भोग चढ़े, भोले नीलकंठ कहलाए।
शिव का ध्यान धरे, निशदिन हरे पीर सारी।
हर हर महादेव गूंजे सब गाते नर और नारी
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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