Hindi Kavita on Betiyan -बेटियॉं
बेटियॉं
( Betiyan )
पढ़ रही हैं बेटियॉं, बढ़ रहीं हैं बेटियॉं।
रोज नये कीर्तिमान, गढ़ रहीं हैं बेटियॉं।
बेटियॉं नहीं दुख की, नीर भरी बदरी है,
बेटियॉं नहीं कोई, आफ़त की गगरी है।
बेटियॉं श्रृंगार और,सृजन की गठरी है,
ऊंची-ऊंची सीढ़ियां,चढ़ रहीं हैं बेटियॉं।
पढ़ रही हैं बेटियॉं, बढ़ रहीं हैं बेटियॉं।
है कौन सी जगह,जहां गई नहीं बेटियॉं।
कौन सी किताब जिसे,पढ़ी नहीं बेटियॉं,
कौन सी है नौकरी, जो करी नहीं बेटियॉं,
सरहदों पर दुश्मनों से , लड़ रहीं बेटियॉं।
पढ़ रही हैं बेटियां, बढ़ रहीं हैं बेटियॉं।
बेटों से किसी मायने में कम नहीं हैं बेटियॉं,
अब किसी के वास्ते ग़म नहीं हैं बेटियाॉं,
गगन,सिंधु,ज़मीं में भी जम रही हैं बेटियॉं,
दकियानूसी को थप्पड़ें, जड़ रहीं हैं बेटियॉं।