स्मृति गीत
स्मृति गीत
हरि ओम तत्सत्
हरि ओम तत्सत्
हरि ओम तत्सत्
बरगद-छाँह न रही शीश पर मन बेकल है।
फ़िक्र युगों की लेकिन निश्चित एक न पल है।
सहा न जाए वर्तमान आराध्य भविष्यत्
हरि ओम तत्सत्
हरि ओम तत्सत्
हरि ओम तत्सत्
रहे जान से प्यारे जो वे गए जान से।
रोक न पाए कलप रहे मद-मोह मान से।
क्षत-विक्षत युग-युग से जीवन बनता अक्षत्।
हरि ओम तत्सत्
हरि ओम तत्सत्
हरि ओम तत्सत्
ओम प्रकाश मिले न व्योम से है मति हैरां।
कहते हम आबाद हुए भू होती वीरां।
अभिधा चुप, लक्षणा मौन, दुर्गति नित व्यंजित
हरि ओम तत्सत्
हरि ओम तत्सत्
हरि ओम तत्सत्
बोया-काटा, चाह अचाहा, पाया-खोया।
मन न मानता अब न मिलोगे पाने रोया।
सोया समय गँवाया असमय लुंठित-कंपित
हरि ओम तत्सत्
हरि ओम तत्सत्श
हरि ओम तत्सत्
समय यंत्र पा फिर से कल को कल जी पाएँ
निज-पर के जा पार साथ रहकर हर्षाएँ।
लाता निकट दूर करता क्यों नाते भगवत्
हरि ओम तत्सत्
हरि ओम तत्सत्
हरि ओम तत्सत्
थाती पाई जो समृद्ध कर हम सौंपेंगे।
मूल्यों का बिरवा निष्ठापूर्वक रोपेंगे।
स्नेहिल सुधियाँ समय न कर पाएगा मंदित
हरि ओम तत्सत्
हरि ओम तत्सत्
हरि ओम तत्सत्

संजीव सलिल
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