Soch samajh kar bol
Soch samajh kar bol

सोच समझकर बोल

( Soch samajh kar bol )

 

सोच समझकर बोल रे बंदे सोच समझकर बोल
तिल का ताड़ बना मत बंदे मन की आंखें खोल

 

मीठी वाणी लगती प्यारी मधुरता से रिश्ता नाता है
मधुर बोल दुनिया दीवानी तोता पिंजरे में आता है
हंगामा खड़ा मत करना प्यारे मत करना रमझोल
सोच समझकर बोल रे बंदे

 

वाणी का जादू चढ़ता है लो मधुर सुधारस घोल
अपनापन अनमोल बांटो दो प्यार के मीठे बोल
कड़वे बोल बैर बढ़ाते नैतिकता का पीटते ढोल
सोच समझकर बोल रे बंदे

 

कौन है अपना कौन पराया मोती लुटाओ प्यार के
हर कोई तुम्हारा होगा प्यारे इस मतलबी संसार में
सत्य सादगी अपनाकर भी मत करना टालमटोल
सोच समझ कर बोल रे बंदे

 

शब्द शब्द शक्ति भरा झरना भी है हथियार भी
नफरत की आग भी आंखों में झलकता प्यार भी
मीठे मीठे शब्द बोलकर कह दो वाणी अनमोल
सोच समझ कर बोल रे बंदे

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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