Sochna Aapko hai
Sochna Aapko hai

सोचना आपको है

( Sochna aapko hai ) 

 

जानता हूं
तुम गलत नही थे कभी
न ही बैर था किसी से तुम्हारा
गलत रहा तो बस
तुम्हारी सोच का नजरिया
और तुम्हारी संगत….

अपनों पर किए शक
गैरों पर जताया भरोसा
मीठी बोली मै रहा व्यंग छिपा
आंखों मे दबी वासना रही
जल्दबाजी की दौड़ में
ऊंचाई की कामना रही…

आप गलत नही थे
दोस्तों की संगत मे
बहकी हुई भावनाओं ने
तुम्हे कभी ठहरने ही नही दिया…..

स्थिरता मे चाहते तो
ऊंचाइयां कदमों तले थीं
ख्वाहिशों ने ही तुम्हे चढ़ने नही दिया…

वक्त और जवानी
तो है बहता हुआ पानी
बचे शेष मे विशेष न हो भले
किंतु ,शेष तो रहता है कुछ
उसी कुछ के सहारे
कर सकते हो फिर भी बहुत कुछ
अब यह सोचना आपको है की कैसे….

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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