दिव्य जीवन पथ – प्रदर्शक संत — श्री महर्षि गज अरविन्द

 

संसार में कभी-कभी ऐसे दिव्य महापुरुषों का अवतरण होता है जिनके त्याग , समर्पण, प्रेम, करूणा , समता, सादगीपूर्ण जीवन लोगों के लिए प्रेरणा बन जाता है। उनका जीवन संसार के लिए एक संदेश होता है। ऐसे दिव्य महापुरुषों की श्रेणी में आते हैं दिव्य जीवन पथ के संस्थापक गज अरविंद जी।

उसका जन्म 1 सितंबर 1960 को वर्धा जिले के टाकली ग्राम में में हुआ था। उनके जन्म के पूर्व उनकी मां को दिव्य सपना आया करते थे। वह बताया करतीं थीं कि महर्षि जी जब उनके गर्भ में थे तो श्वेत हाथी और कमल, देवी देवताओं के दर्शन हुआ करते थे। उन्हें देखकर ऐसा लगता था कि कोई दिव्य आत्मा का अवतरण होने जा रहा है।

ऐसा जब वे अपने पति से कहती थी तो वे भी कहते मुझे भी कभी-कभी ऐसा आभास होता है की किसी दिव्य बालक का जन्म होगा उसके द्वारा मानवता का कल्याण होगा।

बचपन से ही उनमें दिव्य साधना के अनुभव होने लगे थे। जब वे 7 साल के थे तो उन्हें मानव रूप में ब्रह्मांडीय (आदि शक्ति) का प्रत्यक्ष साक्षात्कार हुआ। इस प्रकार से उनकी दिव्य शक्तियों के संरक्षण में गहन साधना शुरू हो गई।

सर्वप्रथम उन्होंने विदेही सोना माता के मार्गदर्शन में साधना की शुरुआत की। इसके पश्चात 1974 में 14 वर्ष की अवस्था में सद्गुरु संचारेश्वर महाराज से मुलाकात हुई। जहां उनकी ईस्वी १९७८ में महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में ब्रह्म साक्षात्कार हुआ।
इसके पश्चात 12 वर्षों तक लगातार 35 स्थान पर गहन साधना जारी रखी ।इस दौरान उन्होंने लगभग 300 विभिन्न धर्म संप्रदायों की साधना की जिससे उन्हें सभी धर्म में व्याप्त सत्यता का अनुभव हुआ।

इस प्रकार से उन्हें अनुभव हुआ कि सभी धर्म का मूल मानवता ही है। फिर उन्होंने मानव धर्म का प्रचार करने लगे। 1993 ई में महाशिवरात्रि की रात्रि में अपनी मां अंजना माता से प्रेरणा लेकर हिंद राष्ट्र की सेवा एवं मानव जागरण का संकल्प हेतु अमरावती जिले के अंतर्गत वरुद तहसील के हातुरणा गांव में स्थापित किया । इसके पश्चात 1995 में महर्षि अरविंद फाउंडेशन की स्थापना की। और दिव्य जीवन पथ(PDL) की शुरुआत की।

इस प्रकार से लगातार भारतीय मूल्य एवं संस्कृति के विकास के लिए विविध प्रकार के पाठ्यक्रम तैयार किया ।जो प्रकृति उन्मुख शिक्षा,बहु सिद्ध चिकित्सा,टेक्नोलॉजी, सिद्धाकृषि, आध्यात्म से संबंधित थे।

इस प्रकार से पिछले तीन-चार दशकों से मानव के कल्याण के लिए उनके द्वारा किया गया महान उपकार युगों युगों तक स्मरणीय बनी रहेगी। उन्होंने अध्यात्म को वैज्ञानिक दृष्टि से प्रैक्टिकल रूप में सिद्ध करने का प्रयास किया।

उनकी शिक्षा भेदभाव से मुक्त है ना कोई गुरु है, ना धर्म है , ना संप्रदाय है बल्कि सबके मूल में मानवता का कल्याण छिपा हुआ है। उनका उद्देश्य संपूर्ण विश्व में शांति , विश्व बंधुत्व , विशुद्ध प्रेम की स्थापना करना है। उनकी संकल्पना है कि वसुधैव कुटुंबकम साकार रूप से अभिव्यक्त करना है।

 

योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )

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