Subh Diwali

शुभ दिवाली

( Subh Diwali ) 

 

ढ़ेरों खुशियां और सिखलाई देती है दिवाली,
प्यार से रहना हम सबको सिखाती दिवाली।
जगमगाती रहे ज़िन्दगी कहती यही दिवाली,
हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है शुभ दिवाली।।

नौ रोज़ नवरात्रा व दसवा दिन दशहरा होता,
बीसवे दिन दीवाली का पावन पर्व ये आता।
दरिद्रता से न रहता इसदिन किसी का नाता,
मेहरबान सभी पर होती है यह लक्ष्मी माता।।

ये गांव-शहर उस दिन रोशनी से जगमगाता,
दीप जलाकर घर से अन्धेरा मिटाया जाता।
महिनों पहले ही‌ घरो की सफाई होने लगता,
घरो व दुकानो में कई मिठाई बनाया जाता।।

राजा एवं रंक सब-मिलकर खुशियां मनाता,
तेल डालकर मिट्टी के दीपक सभी जलाता।
झोपड़ी चाहे महल सब सजता एवं सजाता,
मिठाई खिलाकर पटाख़े फूलझड़ी जलाता।।

सोना-चांदी कोई खरीदता कोई बर्तन लाता,
मिट्टी के दीये उस दिन जगह जगह बिकता।
होते है खेल तमाशे कोई करतब ये दिखाता,
परदेशी भी इस दिन स्वदेश लौटकर आता।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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