
सुहानी शाम
( Suhani shaam )
दृश्य मनोरम सुंदर नजारा सुहानी शाम हो जाए
उर उमंगे ले हिलोरे प्रीत पुरानी आम हो जाए
ठंडी ठंडी पुरवाई हो खुशियों की बरसात हो जाए
सुहानी सी प्रीत बरसे झड़ी सावन के नाम हो जाए
महक जाए गुलशन सारा चेहरे पर मुस्कान मधुर
नैनों में इक आस प्रीत की विश्वास घट में भरपूर
थिरक उठे साज सारे संगीत समां के नाम हो जाए
उर अनुराग जगाती मधुर सुहानी शाम हो जाए
पलक पांवड़े बिछा बैठे दिल के सब दरवाजे खोल
अंतर्मन छू जाती बातें लगते प्यारे प्यारे मीठे बोल
एक झलक पाकर मेरा मन वृंदावन धाम हो जाए
मोहन मुरलीधर आजा मधुर सुहानी शाम हो जाए
हर दिल में अनुराग भरा हो नेह भरी बातें प्यारी
दिल तक दस्तक दे जाती जहां महफ़िल हमारी
गीतों की स्वर लहरियां हौसलों का सलाम हो जाए
मोहक संगीत सुहाना मधुर सुहानी शाम हो जाए
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )