
सुपात्र
( Supatra par chhand )
सद्गुणों से भरपूर, कला से हो मशहूर।
सुपात्र का हो सम्मान, कदम बढ़ाइए।
विनय भाव संस्कार, दूर हो सारे विकार।
जग बांटे प्रेम प्यार, उनको बुलाइए।
दया धर्म दानशील, शुभ कर्म हो सुशील।
गुणी विद्वान मनुज, संग में बिठाइए।
कर्मवीर रणधीर, पुरुषार्थी नर वीर।
सेवाभावी जान कोई, सम्मान दिलाइए।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
यह भी पढ़ें :-