टी. एस. एलियट की अनुवादित कविता | अनुवादक- दीपक वोहरा
टी. एस. एलियट एक प्रमुख अंग्रेजी कवि, निबंधकार, नाटककार, और आलोचक थे, जिनका जन्म 26 सितंबर 1888 को सेंट लुइस, मिसौरी, अमेरिका में हुआ था। 25 साल की उम्र में इंग्लैंड चले गए और वहीं बस गए। उन्होंने 20वीं सदी के आधुनिक काव्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आंखें जिन्हें आखिरी बार देखा था आँसुओं में
आंखें जिन्हें आखिरी बार देखा था आँसुओं में
बिछुड़ते हुए
यहाँ मृत्यु स्वप्न लोक में
स्वर्णिम दृष्टि फिर से दिखाई देती है
मैं देख लेता हूँ आँखें, आँसूओं की बजाय
यही मेरी व्यथा है
यही मेरी व्यथा है
आँखें जिन्हें मैं फिर कभी नहीं देख पाऊंगा
दृढ़ संकल्पी आँखें
आँखें जिन्हें मैं तब तक नहीं देख पाऊंगा
जब तक मृत्यु के दूसरे लोक के द्वार पर न पहुँचूं
जैसे इस लोक में
आँखें पल भर के लिए ठहरती हैं
थोड़ी देर तक ठहरते हैं आँसू भी
और हमें उपेक्षा में थामे रखती हैं
अनुवादक: दीपक वोहरा
(जनवादी लेखक संघ हरियाणा)
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