कुछ रिश्तों की इतनी ही उम्र होती है

कुछ रिश्तों की इतनी ही उम्र होती है

आज सर्दियों की धुंध भरी शाम है। मैं धीरे-धीरे चलते हुए घर लौट रहा हूँ। सड़क के किनारे लगीं पोल लाइटों से उर्जित प्रकाश कोहरे को नीली चादर की भांति खुद से लपेटे हुए है । अर्पिता के साथ बिताए पल मुझे यूं ही याद आने लगे हैं। वह कोहरे की इस नीली चादर को…

आंखों से मेरी सभी वो आज रूठे ख़्वाब है

आंखों से मेरी सभी वो आज रूठे ख़्वाब है

आंखों से मेरी सभी वो आज रूठे ख़्वाब है     आंखों से मेरी सभी वो आज रूठे ख़्वाब है! हो गये है जिंदगी से दूर सारे ख़्वाब है   टूट जाते है मंजिल पे ही पहुचने से पहले प्यार के ही  कब पूरे ए दोस्त होते ख़्वाब है   कब न जाने होगे सच…

प्यार से मुझको उसने मनाया नहीं

प्यार से मुझको उसने मनाया नहीं

प्यार से मुझको उसने मनाया नहीं     प्यार से मुझको उसने मनाया नहीं । प्यार मुझपे कभी भी जताया नहीं ।।   मै उसे यार अपना कहूँ किस तरह । साथ उसने हमारा निभाया नहीं ।।   खूब आँसू बहाये है हमने मगर । हाल दिल का किसी को  सुनाया नहीं ।।   बोलता…

जीस्त में जब ख़ुशी नहीं मिलती

जीस्त में जब ख़ुशी नहीं मिलती

जीस्त में जब ख़ुशी नहीं मिलती     जीस्त  में जब ख़ुशी नहीं मिलती ! दिल को राहत कभी नहीं मिलती   नफ़रतों के चराग़ जलते है हर दिल में आशिक़ी नहीं मिलती   हो गये लोग बेवफ़ा दिल से अब सही दोस्ती नहीं मिलती   यार ढूंढू मै कैसे मंज़िल को । राह में…

इंसान और पेड़ में अंतर

इंसान और पेड़ में अंतर

इंसान और पेड़ में अंतर ****** वो कहीं से भी शुरूआत कर सकता है, सदैव पाज़िटिव ही रहता है। उसे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता मौत के मुंह में जाकर भी त्यागता नहीं जीजिविषा सदैव जीवन की है उसे लालसा कभी हिम्मत न हारता बना लेता हूं कहीं से भी कैसे भी जतन कर…

सोचा नहीं था हम इस कदर जाएंगे

सोचा नहीं था हम इस कदर जाएंगे

सोचा नहीं था हम इस कदर जाएंगे   सोचा नहीं था हम इस कदर जाएंगे यहाँ से भी हम क्या बे-क़रार जाएंगे   एक रात भी अपने बस में नहीं है यानी गुज़रते थे, आज भी गुजर जाएंगे   क्या अजीब दुनियादारी है हमारी ज़िंदा दिल वाले आए तो मर जाएंगे   बे-इंतिहा मुहब्बत का…

कर रहा ग़म भरी मयकशी आज फ़िर

कर रहा ग़म भरी मयकशी आज फ़िर

कर रहा ग़म भरी मयकशी आज फ़िर   कर रहा ग़म भरी मयकशी आज फ़िर! ढ़ल गयी जीस्त से जब ख़ुशी आज फ़िर।।   दोस्त था वो मेरा पर ये क्या कर गया । कर गया वो बहुत दुश्मनी आज फ़िर।।   क्या निभाएगा वो राब्ता प्यार का । वो दिखा बस रहा बेरुख़ी आज…

है वो आज़म गुलाब सा चेहरा

है वो आज़म गुलाब सा चेहरा

है वो आज़म गुलाब सा चेहरा     है वो  आज़म गुलाब सा चेहरा ! जैसा हुस्ने  शबाब सा चेहरा ।।     मैं पढ़ूँ उसके शब्द उल्फ़त के । वो दिखे पर क़िताब सा चेहरा।।   देखकर प्यार का नशा होता। है वो ऐसा  शराब सा चेहरा।।   प्यार आता बहुत मुझे उस पर…

ग़म से जीना सदा मुहाल रहा

ग़म से जीना सदा मुहाल रहा

ग़म से जीना सदा मुहाल रहा   ग़म  से जीना  सदा मुहाल  रहा।। फिर  भी  जीते  रहे कमाल रहा।।   क्यूं  दबे  हम ग़मों  के  बोझ तले। जिंदगी  भर   यही  मलाल  रहा।।   पास  रह   के  भी  दूर  -दूर   रहे। दूरियां   क्यूं  बढी   सवाल  रहा।।   याद   आती   रही   दुखाने  दिल। दिल  यूं  होता  सदा…

हुस्ने खिलता गुलाब है आज़म

हुस्ने खिलता गुलाब है आज़म

हुस्ने खिलता गुलाब है आज़म     हुस्ने खिलता गुलाब है आज़म ऐसा वो तो शबाब है आज़म   मैं पीना चाहता हूँ अब खुशियां पीली ग़म की  शराब है आज़म   कैसे करता मैं फ़ोन तुझको ही फ़ोन मेरा ख़राब है आज़म   रह गयी प्यार की बातें लब पे दें गया कब ज़वाब…