कुछ रिश्तों की इतनी ही उम्र होती है
आज सर्दियों की धुंध भरी शाम है। मैं धीरे-धीरे चलते हुए घर लौट रहा हूँ। सड़क के किनारे लगीं पोल लाइटों से उर्जित प्रकाश कोहरे को नीली चादर की भांति खुद से लपेटे हुए है । अर्पिता के साथ बिताए पल मुझे यूं ही याद आने लगे हैं। वह कोहरे की इस नीली चादर को…