उदासी में डूबे बहुत ही रहे है!

उदासी में डूबे बहुत ही रहे है!

उदासी में डूबे बहुत ही रहे है!     उदासी में डूबे बहुत ही रहे है! निगाहों से ही  आंसू मेरी बहे है   भुलाने जिसे चाहता हूँ मैं दिल से परेशां यादें रोज़ उसकी करे है   ख़ुशी का नहीं पल मिला जिंदगी में जीवन में मुझे ग़म बहुत ही मिले है   खेली…

अमेरिका को मिला नया राष्ट्रपति!

अमेरिका को मिला नया राष्ट्रपति!

अमेरिका को मिला नया राष्ट्रपति! ****** धन्य अमेरिका, धन्य अमेरिकी जनता.. नफ़रत के ऊपर चुना सद्भावना! कुछ यही है कहता- बाइडेन का चुना जाना। देखिए क्या आगे है होता? 46 लें राष्ट्रपति के रूप में 77 वर्षीय बाइडेन चुने गए हैं, छह बार सिनेटर भी रह चुके हैं। जो डेमोक्रेटिक पार्टी के थे उम्मीदवार, जिनपर…

अच्छा समाज कैसे हो संभव ?

अच्छा समाज कैसे हो संभव ?

जब तक हम नहीं सुधरेंगे तब तक एक अच्छे समाज का निर्माण संभव नहीं। जब आप गलत होते हुए भी अच्छा बनने का नाटक करते हैं, तो अगला सब कुछ जानते हुए भी खामोश है ‌। तो इसका मतलब यह नहीं कि वह कुछ नहीं जानता बल्कि वो आपको दूसरों की नजरों में गिराना नहीं…

मांग में सिंदूर भर दूँ मैं सनम

मांग में सिंदूर भर दूँ मैं सनम

मांग में सिंदूर भर दूँ मैं सनम     मांग में सिंदूर भर दूँ मैं सनम आ तुझे दुल्हन सी कर दूँ मैं सनम   भूल जायेगी दर्द ग़म दिल के सभी प्यार से इतनी  तर कर दूँ मैं सनम   चुनकर सब कांटो भरे ग़म तेरे ही फूलों से दामन ये भर दूँ मैं…

बैठ जाता हूँ

बैठ जाता हूँ

बैठ जाता हूँ     कितना इंतज़ार करता हूँ मैं हर सुबह और शाम इसी आस में कि अभी उसका फ़ोन आएगा और पूछेगी मुझसे मेरा हाल……   आता है जब फ़ोन चार पाँच दिनों के बाद बस दो मिनट भी नहीं कर पाती बात और बिन कहे ही काट देती है कॉल मैं बोलता…

नफ़रत के ही देखें मंजर बहुत है!

नफ़रत के ही देखें मंजर बहुत है!

नफ़रत के ही देखें मंजर बहुत है!     नफ़रत के ही देखें मंजर बहुत है! मुहब्बत से ही दिल बंजर बहुत है   मुहब्बत का दिया था फूल जिसको मारे नफ़रत के ही पत्थर बहुत है   किनारे टूटे है पानी के  ऐसे हुऐ सब खेत वो बंजर बहुत है   किताबे होनी थी…

निगाहें अश्कों में ही तर रही है!

निगाहें अश्कों में ही तर रही है!

निगाहें अश्कों में ही तर रही है!     निगाहें अश्कों में ही तर रही है! यादें दिल पे देती नश्तर रही है   मुहब्बत की नजर से क्या देखेगा वो आंखों प्यार से  बंजर रही है   सहारा दें वफ़ा से जो हमेशा निगाहें ढूंढ़ती वो दर रही है   उल्फ़त के तीर कब…

अन्नदाता की पुकार

अन्नदाता की पुकार

अन्नदाता की पुकार ******** हम अन्नदाता है साहब चलते हैं सदा सत्य की राह पर  करते है कड़ी  मेहनत चाहे कड़ी धूप य हो बारिश घनघोर कोहरा या हो कड़ाके की सर्दी दिन हो या काली रात खेतों में लगाता हूं रात भर पानी तब कहीं जाकर उगाता हूं अन्न सोता नहीं चैन की नींद…

चले जाओ भले गुलशन बिना गुल के मजा क्या है

चले जाओ भले गुलशन बिना गुल के मजा क्या है

चले जाओ भले गुलशन बिना गुल के मजा क्या है     चले जाओ भले गुलशन बिना गुल  के मजा क्या है। खिज़ा का है नहीं मौसम बहारों की फजा क्या है।।   अभी से सीख लो जीना यहां अपने  लिए यारो। समझ में आ गया हो ग़र गलत क्या है बजा क्या है।।  …

तुम न जाओ

तुम न जाओ

तुम न जाओ   सूने उपवन में गहन घन प्रीति गाओ तुम न जाओ।। मेरे अन्तर्मन अभी तुम रुक भी जाओ तुम जाओ।। स्वाती बिन प्यासा पपीहा देखा होगा, रात भर जगती चकोरी सुना होगा, मैं तना हूं तुम लता बन लिपट जाओ तुम न जाओ।।तुम न० प्रेम तो एक हवा का झोंका नहीं है,…