एक प्यारी बेटी जल गयी आग में
एक प्यारी बेटी जल गयी आग में एक प्यारी बेटी जल गयी आग में ! आसुओं में निगाहें मां की भर गयी बेटियों के बिन देखो घर होता नहीं ये है तो सब कुछ है हाँ वरना कुछ नहीं मत करो जुल्म नाजुक फूलों के जैसी है बेटी प्यारी इज्जत…
एक प्यारी बेटी जल गयी आग में एक प्यारी बेटी जल गयी आग में ! आसुओं में निगाहें मां की भर गयी बेटियों के बिन देखो घर होता नहीं ये है तो सब कुछ है हाँ वरना कुछ नहीं मत करो जुल्म नाजुक फूलों के जैसी है बेटी प्यारी इज्जत…
बात बनता है कभी गुमान में क्या बात बनता है कभी गुमान में क्या कभी इन्तिज़ार होती है ज़िन्दान में क्या गैरों के बात खुद केह देते हो ऐसा होता है भला सुख़न में क्या जाते जाते इतनी मेहेरबानी क्यों टुटा दिल ही दोगी दान में क्या कुछ नहीं में और…
मैं ढूंढ़ता उसका ही रहा घर मैं ढूंढ़ता उसका ही रहा घर उसका नहीं मुझको है मिला घर वो छोड़ के ही जब से गया है सूना बहुत मेरा ये हुआ घर उल्फ़त यहां दिल से मिट गयी है की नफरतों में ही ये जला घर देखो ग़म के साये…
साथ रहबर ना कोई सहारा हुआ साथ रहबर ना कोई सहारा हुआ। मुश्किलों में ना कोई हमारा हुआ।। देखते -देखते सब पराए हुए। वक्त आता नहीं सँग गुजारा हुआ।। काम आया कभी जो वतन के लिए। इस जहां में सभी का वो प्यारा हुआ।। पास आए सभी मांगने के लिए।…
मुशलशल अश्क बरसाया है पहली बार नहीं है मुशलशल अश्क बरसाया है पहली बार नहीं है। बस इतना कह के चले जा कि मुझसे प्यार नही है।। कत्ल करके मेरा कन्धे पे ले गया मुझको भला मैं कैसे कहूं मेरा मददगार नही है।। जाके तन्हाई में इत्मिनान से पढ़ ले इसको,…
हर बशर जी रहा दर्द छुपाए हुए हर बशर जी रहा दर्द छुपाए हुए। ग़म किसी भी तरह से भुलाए हुए।। दाग़ किसको दिखाएं ना आता समझ। सब नज़र आ रहे चोट खाए हुए।। साथ देता ना कोई बुरे वक्त पर। है हमारे सभी आजमाए हुए।। हाल-ए-दिल क्या सुनाए किसी शख्स…
प्यार से मां बना रही रोटी प्यार से मां बना रही रोटी हाँ खिलाती उल्फ़त भरी रोटी हो रही मां गुस्सा बहुत मुझसे खा गया है कोई सभी रोटी आया जब से परदेश में हूँ मैं याद आती मां की वही रोटी इसलिए रह गया हूँ भूखा मैं चूल्हे पे…
मुझे मुहब्बत की वह ज़माना याद है मुझे मुहब्बत की वह ज़माना याद है तुम्हारा हम से रूठ जाना याद है तुम्हे याद हो के ना उसका याद हो हमें दिन रात का फ़साना याद है उफ़्फ़ यह मुहब्बत का सजा भी अब तक हमको तेरा बहाना याद है बीमारी-ए-दिल…
छोड़कर साथ मेरा जाओ नहीं छोड़कर साथ मेरा जाओ नहीं इस तरह से मुझे रुलाओ नहीं अब हक़ीक़त में आओ सनम अब मेरे रोज़ यूं ख़्वाब में मेरे आओ नहीं साथ मेरा निभालो सदा के लिए प्यार करके मुझे यूं सताओ नहीं सच रहेगा हमेशा लबों पे मेरे झूठे इल्जाम यूं…
राह ए मंजिल से तुम लौट आना नहीं राह ए मंजिल से तुम लौट आना नहीं। मुश्किलें देख कर सर झुकाना नहीं।। कामयाबी मिले जो ना फिर भी कभी। अश्क कोई कभी तुम बहाना नहीं।। कुछ असंभव नहीं है जहां में यहां। याद रखना कभी भूल जाना नहीं।। बाजुओं का भरोसा…