भोलेनाथ

Kavita | भोलेनाथ

भोलेनाथ ( Bholenath ) ****** हो नाथों के नाथ हो अनाथों के नाथ दीनों के नाथ हो हीनों के नाथ। बसे तू कैलाश, बुझाते सबकी प्यास। चराचर सब हैं तेरे संग, रहे सदा तू मलंग । चलें खग पशु प्रेत सुर असुर तेरे संग, देख देवी देवता किन्नर हैं दंग। है कैसा यह मस्त मलंग?…

अपना बचपन

Kavita | अपना बचपन

अपना बचपन ( Apna Bachpan )   बेटी का मुख देख सजल लोचन हो आए, रंग बिरंगा बचपन नयनों में तिर जाए । भोर सुहानी मां की डांट से आंखे मलती, शाम सुहानी पिता के स्नेह से है ढलती। सोते जागते नयनों में स्वप्निल सपने थे, भाई बहन दादा दादी संग सब अपने थे। फ्राक…

अनबन

Kavita | अनबन

अनबन ( Anban )   ** बदल गए हो तुम बदल गए हैं हम नए एक अंदाज से अब मिल रहे हैं हम। ना रही वो कसक ना रही वो ठसक ना रहे अब बहक औपचारिकता हुई मुस्कुराहट! चहक हुई काफूर बैठे अब तो हम दूर दूर! जाने कब क्यूं कैसे चढ़ी यह सनक? मिलें…

नारी व्यथा

Kavita | नारी व्यथा

नारी व्यथा ( Nari Vyatha )   मेरे हिस्से की धूप तब खिली ना थी मैं भोर बेला से व्यवस्था में उलझी थी हर दिन सुनती एक जुमला जुरूरी सा ‘कुछ करती क्यूं नहीं तुम’ कभी सब के लिए   फुलके गर्म नरम की वेदी पर कसे जाते शीशु देखभाल को भी वक्त दिये जाते…

अबोध

Kavita | अबोध

अबोध ( Abodh ) बहुत अच्छा था बचपन अबोध, नहीं  था  किसी  बात का बोध। जहाॅ॑  तक  भी  नजर जाती थी, सूझता था सिर्फ आमोद -प्रमोद।   निश्छल मन क्या तेरा क्या मेरा, मन लगे सदा जोगी वाला फेरा। हर  ग़म मुश्किल से थे अनजान मन  में  होता  खुशियों का डेरा।   हर  किसी  में …

आसिफ की आपबीती

Kavita | आसिफ की आपबीती

आसिफ की आपबीती ( Asif Ki Aap Beeti ) ****** लगी थी प्यास मंदिर था पास गया पीने पानी थी प्यास बुझानी समझ देवता का घर घुस गया अंदर नहीं था किसी का डर पी कर वापस आया तभी किसी ने पास बुलाया पूछा क्या नाम है? बताया आसिफ है! सुन वो बड़ा ही चौंका…

रंग गालो पे कत्थई लगाना

Geet | रंग गालो पे कत्थई लगाना

रंग गालो पे कत्थई लगाना ( Rang Gaalon Par Kathai Lagana)   अबके  फागुन  में  ओ रे पिया भीग जाने  दो  कोरी चुनरिया मीठी मीठी सी बाली उमरिया भीग  जाने  दो  कोरी चुनरिया   हम  को  मिल  ना  सकें तेरे  रहमो  करम सात रंगों में डूबे सातो जन्म रंग गालो पे कत्थई लगाना धीमे धीमें…

पत्रकार हूँ पत्रकार रहने दो

Kavita | पत्रकार हूँ पत्रकार रहने दो

पत्रकार हूँ पत्रकार रहने दो ( Patrakar Hoon Patrakar Rahne Do ) ******* लिखता हूं कलम को कलम कागज़ को काग़ज़ ग़ज़ल को ग़ज़ल महल को महल तुम रोकते क्यों हो? टोकते क्यों हो? चिढ़ते क्यों हो? दांत पीसते क्यों हो? मैं रूक नहीं सकता झुक नहीं सकता बिक नहीं सकता आजाद ख्याल हूं अपनी…

वृक्ष की पीड़ा

Vriksh Ki Peeda | वृक्ष की पीड़ा

वृक्ष की पीड़ा ( Vriksh Ki Peeda )    काटकर मुझे सुखाकर धूप में लकड़ी से मेरे बनाते हैं सिंहासन वार्निश से पोतकर चमकाते हैं वोट देकर लोग उन्हें बिठाते हैं वो बैठ कुर्सी पर अपनी किस्मत चमकाते हैं, बघारते हैं शोखी, इठलाते हैं; हर सच्चाई को झुठलाते हैं। मोह बड़ा उन्हें कुर्सी का नहीं…

शिव-स्तुति

Shiv Stuti | शिव-स्तुति

शिव-स्तुति ( Shiv Stuti ) ऐसे हैं गुणकारी महेश। नाम ही जिनका मंगलकारी शिव-सा कौन हितेश।।   स्वच्छ निर्मल अर्धचंद्र हरे अज्ञान -तम- क्लेश। जटाजूट में बहती गंगा पवित्र उनका मन-वेश।।   त्रिगुण और त्रिताप नाशक त्रिशूल धारे देवेश।। त्रिनेत्र-ज्वाला रहते काम कैसे करे मन में प्रवेश।।   तमोगुणी क्रोधी सर्प, रखते वश, देते संदेश।…