Tamanna poem

हर तमन्ना खाक होकर रह गई | Tamanna poem

हर तमन्ना खाक होकर रह गई

( Har tamanna khak hokar rah gai )

 

हर तमन्ना खाक होकर रह गई
हसरतें सब राख हो कर रह गई

 

भुला दिया हमको हमारे अपनों ने
प्यारी यादें सारी दरिया में बह गई

 

बन चले साथी सफर में अब कई
प्यार की धारायें सब पीछे रह गई

 

छोड़ दिया है बीच भंवर में हमको
बड़ी सुहानी यादें जाने कहां गई

 

हंसकर मिलता जमाना जब प्यार से
मुख मोड़ चले सारे बिन तकरार के

 

नैनों की भाषा तो सब कुछ कह गई
छूटे मधुर सुहाने बोल पोथी रह गई

?

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :- 

समंदर बन जाए | Samandar shayari in Hindi

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *