Samandar shayari in Hindi
Samandar shayari in Hindi

समंदर बन जाए

( Samandar ban jaye )

 

आओ हम भी गीत कुछ ऐसे गाए
दिल के जोड़े तार तराने बन जाए

 

सुहानी हो शाम महफिल सज जाए
दरियादिल हो हम समंदर बन जाए

 

रिमझिम हो बारिश घटाएं छा जाए
मदमाता हो सावन सुहाना आ जाए

 

ले गीतों की लड़ियां मधुरता बरसाए
छेड़े दिलों के तार समंदर बन जाए

 

प्यार के मोती लुटा चले जब हम जाए
शमां बांधे मधुर तान महफिल महकाये

 

कर ले कुछ शुभ काम आओ हम गाये
गीत गाये कंठ खोल समंदर बन जाए

 

प्यार के दो शब्द कह हम मुस्काए
हंसी-खुशी माहौल थोड़ा कर जाएं

 

पावन प्रेम की गंगा बहाने हम आए
बांटे हम मुस्कान समंदर बन जाए

 

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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