तेरे बग़ैर | Tere Bagair
तेरे बग़ैर
( Tere Bagair )
वीरां यह गुलज़ार है तेरे बग़ैर
करना यह स्वीकार है तेरे बग़ैर
हर नफ़स यह कह रही है चीख कर
ज़िन्दगी बेकार है तेरे बग़ैर
तेरी यह जागीर लावारिस पड़ी
कौन अब मुख़्तार है तेरे बग़ैर
मैं मदद को हाथ फैलाऊं कहाँ
सबके लब इनकार है तेरे बग़ैर
क्या सजाऊं जाम पैमाने बता
किसको मय दरकार है तेरे बग़ैर
चाय की उठती तलब भी मार ली
यह ज़ुबां लाचार है तेरे बग़ैर
दर्द की चीखें दबा साग़़र यूँ लीं
कौन अब ग़मख़्वार है तेरे बग़ैर
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
यह भी पढ़ें:-