![Falak फ़लक से क़मर को उतारा कहाँ है](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2021/04/Falak-696x435.jpg)
फ़लक से क़मर को उतारा कहाँ है
( Falak Se Kamar Ko Utara Kahan Hai )
फ़लक से क़मर को उतारा कहाँ है
अभी उसने ख़ुद को सँवारा कहाँ है
उदासी में डूबी है तारों की महफ़िल
बिना चाँद के ख़ुश नज़ारा कहाँ है
हुआ जा रहा है फ़िदा दिल उसी पर
अभी हमने उसको निखारा कहाँ है
है बरसों से कब्ज़ा तो इस पर हमारा
ये दिल अब तुम्हारा तुम्हारा कहाँ है
फ़साने में तन्हा हो तुम ही तो रोशन
कहीं नाम इसमें हमारा कहाँ है
लबों को सिया अपने इस वास्ते ही
तुम्हें मेरा लहजा गवारा कहाँ है
भरोसा है तुझ पर बड़ा हमको साग़र
किसी और को यूँ पुकारा कहाँ है
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
( शाने-हिंद सम्मान प्राप्त )
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
फ़लक-आसमान ,गगन
क़मर-चाँद ,शशि
फ़िदा-क़ुर्बान ,आशिक़
रोशन-प्रकाशमान ,प्रदीप्त
गवारा-स्वीकार, पसंद