तेरी याद में जिया ही नहीं
( Teri yaad mein jiya hi nahin )
कैसे जीते हैं सब ? मैं तो तेरी याद में जिया ही नहीं
सांसो की हर तार ने, सिवा तेरे नाम किसी का लिया ही नहीं
कपकपाती हाथों में थमा गया जाम महफिल में कोई
छलक गया होंठो तक जाते जाते, एक बूंद भी पिया ही नहीं
कि बरसों से पड़ी थी छोटी-छोटी मेरे ख्वाहिश कई
हो साकार सपने मेरे, वास्ते उसके कुछ किया ही नहीं
फटा है हाल ए दिल, पूछा भी नहीं उसने हाल मेरा
तड़पता रह गया मैं यूं ही, देख कर उसने दिल सिया ही नहीं
हर्षित हुए हैं ‘हर्षित’ मेरे आंखों में आंसू देख कर
जो कहते थे तेरे सिवा आंखों में कोई बिसया ही नहीं
जिस्म क्या हर सांस भी मोहताज लगती है मुझे मेरी
जो ले गई सांसे मेरी, जान निकल गयी है, खाली मरिया ही नहीं
❣️
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