उसने किया होगा 'गजल'
उसने किया होगा 'गजल'

उसने किया होगा ‘गजल’

 

होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा

जहर जुदाई का उसने खातिर मेरे खाया होगा

 

कांटो को चुनकर उसने मेरे राहों से

 उसने जीवन में मेरे फूल गाया होगा

 

 याद सताया जब पाया हरेक चेहरों में मुझे

मेरे तस्वीर को चुपके सीने से हटाया होगा

 

मेला की धूम धड़क तो सारे जहां के लिए

भीड़ में भी खुद को अकेला ही पाया होगा

 

फीकी हो गयी सारी खुशियां जब उसके लिए

मन ही मन उसने मुझे पास तो बुलाया होगा

 

काबू कर खुद पर बड़ी बखूबी से तुम

बहुत कुछ सोच खुद से खुद को मनाया होगा

 

दब कर रह गई सिसकारियां शहनाईयों में

भड़के आंखों में नमी होठों से मुस्कुराया होगा

 

लाली जो उड़ चली थी उसके लाल जोड़े में

रंग जो उड़ गया चेहरों पर महीनों ना आया होगा

 

 लहू है मेरे जिगर का मेहंदीयों में घुला हुआ

मजबूरी में मेरे लहू को हथेलियों पर रचाया होगा

 

 कदम उसके रोके ना रुके होंगे घड़ी भर भी

खबर बर्बादी का मेरी जब उसको सुनाया होगा

 

 मैं चला गया हूं वापस ना आने को सुनकर ही

कई हफ़्तों उसकी आंखों में नींद ना आया होगा

 

भरकर आखरी सांस मेरी बाहों से लिपट ‘राहुल’

साथ जीने मरने की कसम उसने निभाया होगा

 

लेखक :राहुल झा Rj 
( दरभंगा बिहार)
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