![Thanedar-par-kavita Thanedar par kavita](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2022/10/Thanedar-par-kavita-696x478.webp)
मैं थानेदार हूँ!
( Main thanedar hoon )
जो कानून का आँचल फाड़ते हैं,
मैं उन्हें फाड़ता हूँ।
ऐसे मजनुओं का जुनून मैं,
जूतों से कुचलता हूँ।
मैं सेवक हूँ आम जनता का,
हर जुल्म का प्रहार हूँ,
मैं एक थानेदार हूँ।
हर आग से देखो मैं हूँ वाकिफ ,
जलना मुझे आता है।
मेरी सांस नहीं है कोई बिकाऊँ,
लड़ना मुझे आता है।
मेरा मोल न लगाओ ऐ! गुंडों
मैं कानून के रथ पे सवार हूँ,
मैं एक थानेदार हूँ।
जिनके हाथ यहाँ सने खून से,
उनको छोड़ नहीं सकता।
तेरी गोली से मेरी गोली बड़ी,
मेरा लक्ष्य डिगा तू नहीं सकता।
मैं सच पर मर-मिटनेवाला हूँ ,
मैं कर्मठ औ ईमानदार हूँ,
मैं एक थानेदार हूँ।
भोली-भाली जनता के अधरों पर,
न लटकाओ डर के ताले।
हम चलते जान हथली पे रखकर,
मेरी हिम्मत की गोली खा ले।
पहचान काम न आएगी यहाँ,
मैं कानून का पहरेदार हूँ,
मैं एक थानेदार हूँ।
होती जब-जब सीधी मुठभेड़ यहाँ,
इस वर्दी का धर्म निभाता हूँ।
उस राजमुकुट की रक्षा में मैं,
अपना खून बहाता हूँ।
करता हूँ तिलक इस मिट्टी की,
मैं कानून की दीवार हूँ,
मैं एक थानेदार हूँ।
बेईमानी के बिछौने पे नहीं सोता,
मैं गरीबों का आंसू पढ़ता हूँ।
वर्दी का करते जो दुरुपयोग,
मैं उनपे थू-थू करता हूँ।
मैं भी इज्जत का हकदार हूँ,
मैं एक थानेदार हूँ।
देशद्रोहियों पर नकेल कसना ,
ये मेरा खेल-खिलौना है।
ठहरा कानून का मैं रखवाला,
सारा सुख वो बौना है।
अपमान का करता मैं विषपान,
किसी के गले का हार हूँ।
मैं एक थानेदार हूँ।
![](https://www.thesahitya.com/wp-content/uploads/2022/10/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%B6-%E0%A4%8F%E0%A4%AE-%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%B5-300x300.jpeg)
यह भी पढ़ें:-