टिप-टिप करती बूंदे
( Tip-tip karti boonde )
आसमान से बरस रहा है आज झमाझम पानी,
झूमो नाचों ख़ुशी मनाओ मिलकर दिल जानी।
टिप टिप करती बूॅंदे लगती है सभी को सुहानी,
चलों सोनू मोनू टीना बीना करें सभी मनमानी।।
जूता-चप्पल कोई ना पहनो भागो दौड़ो सरपट,
उछल कूद का आनन्द लो आओ सब झटपट।
बरस रहा है प्यार धनाधन आज इस धरती पर,
ला रही है पानी बदरिया काली-पीली नटखट।।
हरा भरा अब होगा ऑंगन खेत और खलिहान,
नाच उठेगा मन-मयूरा बन ये पशु पक्षी इंसान।
अटूट नाता है बरसात का धरती माता के साथ,
मिट्टी भी सोना उगलेगी जय हो इन्द्र भगवान।।
बरसों इतना कि भर जाएं सभी कुॅंए व तालाब,
सपने सारे सच हो सबके सोचा जिसने ख़्वाब।
पर्यावरण भी शुद्ध होगा काम में होगा विकास,
बनकर घूमें हम सभी जैसे आया कोई नवाब।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )