तुमसे ही हिम्मत | Tumse hi Himmat
तुमसे ही हिम्मत
( Tumse hi himmat )
तुम से हौसला हमारा है तुमसे ही हिम्मत हमारी है तुम इस दिल का करार हो। मेरे मन के मीत तुम दिल को लगती हो कितनी प्यारी। मेरे जीवन के इस सफर में हमसफ़र हो तुम रेखा।
तुमने पग पग पे मेरा साथ दिया है मेरे घर आंगन की महकती फुलवारी हो। तुम मेरी उन्नति आशा की किरण बन प्रगति पथ पर प्रेरणा बनकर आई हो। तुम्हारे प्रेम का बहता झरना मन में दया धर्म कर्म करुणा के भाव जगाता है।
तुमने मन में प्यार के मोती लुटा मुझे साहस संबल और हौसला दिया है। तुम्हारी मुस्कुराहटों का दरिया मुझे सराबोर कर देता है। यह अटूट प्रेम का हमारा सदा बना रहे। तुम आंधियों में ढाल बन जाती हो तो तलवारों का जोश बनकर मेरा हौसला बुलंद कर देती हो।
घनघोर अंधियारों में तुम रोशनी बनकर आती हो तो भूचालों से लड़ने की हिम्मत भी तुम्हीं देती हो।मेरी थकान हरकर तुम राहतों का ठिकाना बन जाती हो। कभी तुम प्यार का हो सागर बन जाती हो कभी तुम मेरी खुशियों का ठिकाना हो।
महकती सी वादियों में तुम खुशबूओं का अतुलित भंडार हो। मेरी जिंदगी में खिलता प्यार का अहसास हो या भाव भरा कोई किरदार हो। हर हसीन लम्हों में तुम हसीं हो तुम ही मेरे दिलदार हो। मेरे घर आंगन की सुरभित बहार हो या प्रित भरी बयार हो। मेरी हिम्मत हौसला तुम ही तुम ही मेरा प्यार हो
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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