Kaash Kabhi Tum
Kaash Kabhi Tum

काश कभी तुम आ जाते

( Kaash kabhi tum aa jate ) 

 

काश कभी तुम आ जाते, आके यूं मुस्का जाते।
नखरे जरा दिखला जाते, हंस कर लूं बतला जाते।
काश कभी तुम आ जाते

मन को भाती अदाएं, खिल जाती सारी फिजाएं।
दिल का कोना कोना हर्षित, आहट तेरी आ जाए।
चांद सा चेहरा लेकर तुम, हमसे मिलने आ जाते।
महक उठे दिल की वादियां, बाग को महका जाते।
काश कभी तुम आ जाते

धड़कन गाती गीत सुरीला, नैना मीठी करते बात।
अधरो से संगीत उमड़ता, दिल से दिल के जज्बात।
कब से बैठे राहों में हम, चैन जरा हम पा जाते।
दिवाली सा रोशन करने, प्यार का दीप जला जाते।
काश कभी तुम आ जाते

हसीं लगती सारी दुनिया, हमको राहे लगती आसान।
जीवन का हर पल सुहाना, अपना लगता हर इंसान।
प्रीत की फुहारे लेकर तुम, घनघोर घटा बन छा जाते
महक जाए मन का आंगन, खुशबू यूं बिखरा जाते।
काश कभी तुम आ जाते

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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