
यूक्रेन पर एक ग़ज़ल
( Ukraine par ek ghazal )
पड़ोसी मुल्क दुश्मन वो बना था ?
वतन से बेवज़ह मेरे लड़ा था
निकले है देखकर आंसू आंखों से
यहाँ तो हर मकाँ देखो जला था
गुलिस्तां ख़ाक ऐसी की अदू ने
यहाँ गुल बद्दुआ देता रहा था
लेने मासूमो के क़त्ल का बदला
वतन का हर सैनिक लड़ने चला था
चुकानी ख़ून से अपनें अदू को
यहाँ भी बदले का तूफां उठा था
मुहब्बत से नहीं वो बात माना
अदू वो बेवज़ह जिद पर अड़ा था
सज़ा देगा ख़ुदा इक दिन उसे ही
किया आज़म अदू ने जो बुरा था