उम्र भर के लिए अजनबी हो गये
उम्र भर के लिए अजनबी हो गये

 

उम्र भर के लिए अजनबी हो गये

( Umar bhar ke liye ajnabi ho gaye )

 

 

उम्रभर  के  लिए अजनबी हो गये!

हम जुदा जीवन भर ऐसे की हो गये

 

मैं देखूँ चैन उसको नहीं मिलता है

वो मेरे दिल के ही दिलकशी हो गये

 

बजते है साज उल्फ़त के दिल में जिसके

वो  लबों  की  मेरे  मौसिक़ी  हो  गये

 

देखकर चढ़ता जिसकों नशा पीने को

जीस्त  की  मेरी  वो मयकशी हो गये

 

चाहता हूँ  बने वो मेरा हम सफ़र

रोज़ जिसके लिए बेकली हो गये

 

हम सफ़र तो नहीं बन सके आज़म के

वो ग़ज़ल मेरी अब शाइरी हो गये

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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