विजयादशमी पर कवि रमाकांत सोनी व मुकेश मारवाड़ी को विजय पुरस्कार प्रदान
साहित्यिक व सामाजिक संस्था नव चेतना अलायंस क्लब नवलगढ के तत्वावधान में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विजयादशमी पर शेखाजी जयंती व स्व. प्रोफेसर विजयानंद शर्मा का जन्मदिन के शुभ अवसर पर नवलगढ़ के कवि रमाकांत सोनी व मुकेश मारवाड़ी को विजय पुरस्कार माला व प्रतीक चिंह देकर प्रदान किया गया।
यह पुरस्कार हर वर्ष कविता साहित्य हिंदी के प्रचार प्रसार व सामाजिक उत्थान के लिये प्रोफेसर विजयानंदजी शर्मा की स्मृति में दिया जाता है।
प्रोफेसर विजयानंदजी शर्मा हिंदी के जाने माने ज्ञाता रहे। शेखावाटी के प्रसिद्ध मंच संचालक कवि व आदर्श शिक्षक खिलाड़ी नामाक्षरी विशेषज्ञ तथा बड़े बड़े कवि सम्मेलनों के संचालक रहे है। आपने हिंदी विभाग में पोदार काॅलेज में शिक्षक के रूप में सेवायें दी।
कवि रमाकांत सोनी साहित्यिक संस्था शब्दाक्षर के जिलाध्यक्ष है उनके दो काव्य संकलन सुनहरा सफर व काव्य के स्वर्णिम अक्षर प्रकाशित हो चुके है रमाकांत सोनी आकाशवाणी पर भी तीन बार प्रस्तुति दे चुके है इसी प्रकार कवि मुकेश मारवाडी देशभक्ति व वीररस की कवितायें लिखते है सरहद के रखवाले उनकी उत्कृष्ट कृति है।
महिला दिवस पर देशभर की 51 कवियित्रियों को शब्दाक्षर कवि सम्मेलन में आप दोनो की अहम भूमिका रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ दयाशंकर जांगिड ने की। मुख्य अतिथि हिंदी विशेषज्ञ डाॅ अनिल कुमार शर्मा थे। मुख्य वक्ता इंजीनियर भंवर लाल जांगिड थे।
विशिष्ट अतिथि प्रांतपाल जगदीश प्रसाद जांगिड़ व मेजर डीपी शर्मा थे। दशहरा पर इंजीनियर भंवर लाल जांगिड ने अपने उदबोधन मे कहा कि रावण जैसे वीर योद्धा को हराने के लिये भगवान राम को योजनाबद्ध तरीके से कैकयी द्वारा वनवास दिलवाया गया। इतिहास मे उनको बूरा बताया गया है लेकिन यह जरूरी था।
राम वन मे गये उस समय के लोगो को संगठित कर बड़ी सेना का निर्माण किया। इसी दौरान रावण ने कपट से सीताहरण किया। लंका पर चढ़ाई करने के लिये समुद्र पार करना था बहुत निवेदन पर भी नहीं माने तो बंदर सेना के सहयोग से उचित जगह देखकर नल व नील के संयोजन में रामसेतु का निर्माण एक अनोखी घटना थी।
रावण अंहकार लोभ लालच आदि दस अवगुणों से घिर गया जो भगवान राम ने उनको नष्ट कर बुराई पर अच्छाई की विजय प्राप्त की।
आज के समय हमें हमारे भीतर मौजूद रावण का अंत करना चाहिये। डाॅ अनिल शर्मा राव शेखाजी की जयंती पर उनको महान वीर जुझारू हमेशा विजयी रहें। नारी रक्षा की तथा हिंदू मुस्लिम एकता के प़क्षधर थे। उनके नाम से हमारा क्षेत्र शेखावाटी कहलाता है जो पूरी दुनिया में अपनी विशेषता रखता है।
डाॅ जांगिड ने अपने उदबोधन में प्रो. विजयानन्द शर्मा को हिन्दी साहित्य में उच्च कोटि का ज्ञाता बताया। प्रसिद्ध उदघोषक खिलाड़ी लेखक कवि व अच्छे मित्र आदि अनेक गुण थे। लेकिन शरीर भी उतनी ही बीमारियों से ग्रसित था जिससे उनका असामयिक निधन हो गया।
आज के दिन हम उनकी याद में नवलगढ के उन्ही के पद चिन्हो पर चलने वालों का सम्मान करते है। कार्यक्रम में डाॅ कैलाश शर्मा व ओमप्रकाश सेन ने अपनी रचनायें प्रस्तुत की। कार्यक्रम में डाॅ जगदीश कडवासरा, डाॅ मनीष जांगिड, डाॅ मीनाक्षी जांगिड के के डीडवानिया पंकज शाह सज्जन जोशी टी एम त्रिपाठी सीताराम घोडेला अर्जुनलाल सांखणिया मुरली मनोहर चोबदार शोयब लंगा सचिन जांगिड गंगाधर मील आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कवि मुकेश मारवाड़ी ने किया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।
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