वोट देना जरा संभाल के

( Vote dena jara sambhal ke ) 

 

नए-नए नेता ले टोली, धवल वेश और मीठी बोली।
उमड़ पड़ा हुजुम यहां, बंद तिजोरी नेताजी खोली।
वादे मधुर बड़े कमाल के, बदल देंगे ढंग हाल के।
नेता फिर भी सशक्त चुने, वोट देना जरा संभाल के।
वोट देना जरा संभाल के

कुर्सी के दीवाने नेता, कितने ही जाने-माने नेता।
शतरंजी चालों के माहिर, शातिर बड़े सयाने नेता।
रूख बदल देते हवा का, प्रलोभन में डाल के।
धरना प्रदर्शन सभाएं, करतब बड़े कमाल के।
वोट देना जरा संभाल के

खुला खर्चा हो आम सभाएं, जाने धन कहां से लाएं।
चमचों की चांदी हो जाती, नेता जीत यदि पा जाए।
जनता के रखवाले रामजी, दिन फिर जाए कंगाल के।
सत्ता का सुख नेता भोगे, बस राजनीति की चाल से।
वोट देना जरा संभाल के

 

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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