वो दिलों में फासला हरदम यूं लाते ही रहे
वो दिलों में फासला हरदम यूं लाते ही रहे
वो दिलों में फासला हरदम यूं लाते ही रहे ।
तोङ सारे ख्वाब दिल के रोज ढाते ही रहे।।
दिल में बैठाया हमेशा ही यकीं हमने किया।
गैर के जैसे सदा वो पेश आते ही रहे ।।
प्यार की बातों को मेरा दिल तरसता रह गया।
बेरूखी से ग़म सदा मेरा बढाते ही रहे ।।
इंतिहा कोई भी उनके जुल्म ढाने की नहीं।
जुल्म बेबस पर हमेशा ही वो ढ़ाते ही रहे।।
जुल्म की दास्तां कहे कैसे ज़माने से “कुमार”।
आंसुओं में जिंदगी को बस डुबाते ही रहे ।।
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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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