ज़माने की चालों से तुम बचके चलना
ज़माने की चालों से तुम बचके चलना

ज़माने की चालों से तुम बचके चलना

 

 

ज़माने की चालों से तुम बचके चलना।

सिखाएंगे तुमको सदा रँग बदलना।।

 

हमें दिल लगाने की दौलत मिली  है ।

कि सारी उमर फिर पड़ा ग़म में जलना।।

 

यहां बेवफाई का आलम न पूछो।

मिटा दिल के अरमां पड़ा है तङफना।।

 

ये हसरत थी दिल में कि आँखों से पीते।

मगर अश्क़ पीकर पड़ा सब्र करना।।

 

बचोगे “कुमार” कहां तुम भीगने से ।

यहाँ हर क़दम पर हैयादों का झरना।।

 

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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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