जिंदगी में हर रोज नया होता है | Zindagi Mein
जिंदगी में हर रोज नया होता है
( Zindagi Mein Har Roz Naya Hota Hai )
कभी कोई हंसता है कभी वह रोता है
जिंदगी में हर रोज कुछ नया होता है।।
जिंदगी का मेला है आदमी अकेला है
एक पल खुशी है एक पल झमेला है
जागता है आज जो वही कल सोता है
जिंदगी में हर रोज कुछ नया होता है।
दुनिया का आज तेरे पास है खजाना
कल कुछ खाने को पास नहीं दाना
आज जो पाया है कल वही खोता है
जिंदगी में हर रोज कुछ नया होता है।
पल-पल जीवन का बदलता व्यवहार है
बदल रहे रिश्ते नाते बदल रहा प्यार है
आज जो बाप बना कल का वही पोता है
जिंदगी में हर रोज कुछ नया होता है।
चलते-चलते आदमी कभी रुक जाता है
दुनिया झुकाने वाला कभी झुक जाता है
आज बोझ दूसरों पर कल खुद ढोता है
जिंदगी में हर रोज कुछ नया होता है।
जिंदगी में आज जहां दिखे हरियाली
प्यार बिना जिंदगी कल सारी खाली
कभी दुख बाटता जो कभी खुशी बोता है
जिंदगी में हर रोज कुछ नया होता है।
कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”
औराई, भदोही
( उत्तर प्रदेश।)
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