Pal-Pal Badle Roj Zamana
Pal-Pal Badle Roj Zamana

पल-पल बदले रोज जमाना

( Pal-pal badle roj zamana )

 

पल-पल बदले रोज जमाना मौसम बदले जारी बा
चाल चलन और खान पान बदले दुनियादारी बा।।1

रिश्ते नाते बदल रहे हैं और बदले ज़िम्मेदारी बा
जितना जेकर होई भला, उतना रिश्तेदारों बा ।।2

के पत्नी के वचन निभाए के सतवंती नारी बा
सात जनम के करे भरोसा एक जन्म अब भारी बा ।।3

बेटवा बिटिया खूब पढ़ाए ,बहू मिली सरकारी बा
के सासु के पैर दबाए ,के धोवत अब सारी बा ।।4

बच्चें जाएं होटल खाएं ,रोवत घर महतारी बा
रोज निहारे बाप आसरा, बेटवा केकर पारी बा ।।5

पेप्सी कोला घर घर पिएं, फैशन जोर में जारी बा
लोटा भर शरबत के देंई, छांछ मिलब अब भारी बा।।6

जितना साधन सुविधा होए ,उतनी बढ़ी बीमारी बा
अस्पताल में बच्चें होवे जीवन भर रखवारी बा ।।7

तिलक बरक्षा होटल में ,के गावत अब गारी बा
कजरी सोहर चैता गायब ,कहां फगुआ बेलवारी बा ।।8

मोबाईल के लोग दिवाना, बेटवा बिटिया नारी बा
जागत सोवत साथ लिए, राजा और भिखारी बा ।।9

जितने बढ़ती शिक्षा दीक्षा, उतनी बढ़ी बेगारी बा
एमए बीए पढ़िके लड़िका बेचत घर तरकारी बा ।।10

खेत खेत में पाइप फैली, बनवत के अब नारी बा
बाटई में सब खेत घटा, छोट छोट भई कीयारी बा।।11

नगद नगद सब होता काज,चलत कहां उधारी बा
भाई चारा प्रेम घटा ,बस मतलब के पाटीदारी बा ।। 12

कवि :  रुपेश कुमार यादव ” रूप ”
औराई, भदोही
( उत्तर प्रदेश।)

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