जिंदगी में हिज्र की ऐसी रवानी हो गयी

जिंदगी में हिज्र की ऐसी रवानी हो गयी | Ghazal

जिंदगी में हिज्र की ऐसी रवानी हो गयी

( Zindagi mein hijr ki aisi rawani ho gayi )

 

 

जिंदगी  में  हिज्र  की  ऐसी  रवानी  हो   गयी

अब लबों की ही मुहब्बत इक कहानी हो गयी

 

अब ख़िलाफ़ उसके सभी को होना होगा हाँ मगर

यार उसकी अब बहुत देखो मनमानी  हो गयी

 

याद करके क्यों जलाए दिल भुला बातें सभी

बेवफ़ाई  की  बातें  उसकी  पुरानी हो गयी

 

प्यार से  बातें नहीं इक भी हुई है ए यारों

साथ मेरे आज तो बस बदजुबानी हो गयी

 

रूठी है जब से ख़ुशी उल्फ़त वफ़ाये दोस्ती

जिंदगी जब से मेरी तो सरगिरानी हो गयी

 

जिंदगी में प्यार की ख़ुशबू रही जब से नहीं

जिंदगी से ही जुदा जब से ही रानी हो गयी

 

सह लिये है जुल्म क़िस्मत के हर राहों पे बहुत

ग़म भरी अब रोज़ अपनी जिंदगानी हो गयी

 

इसलिए दिल भर गया मेरा उदासी से बहुत

गुम कहीं “आज़म” मुहब्बत की निशानी हो गयी

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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