ख्याल हूँ मैं तेरे ख्वाब का | Ghazal Khayal Hoon Main
ख्याल हूँ मैं तेरे ख्वाब का
( khayal hoon main tere khwab ka )
ख्याल हूँ मैं, तेरे ख्वाब का
तसव्वुर से निकली तो
हकीकत में उलझ न जाऊँ कहीं
अशआ’र तेरे , गज़ल हूँ मैं
ज़हन से निकली तो
पन्नों पर बिखर न जाउँ कहीं
नज़र तेरी, मंजर सुहाना हूँ मैं
बसारत से जो निकली तो
वीराने में न बदल जाऊँ कहीं
मयकश तू , तेरी मय हूँ मैं
जाम से जो निकली तो
हवा में फ़ना हो न जाऊँ कहीं….
*बसारत = Vision
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )
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