मेरी नींद का ख़्वाब हो तुम
( Meri neend ka khwaab ho tum )
टूटे है भरम दिल के सभी
तेरे दर से लौट आये हम
बस मेरा ख़्वाब था तू
कोई हक़ीक़त नहीं
अगर किसी मोड़ पर
मिल जाये कभी
तो निगाहें बचाकर
पास से गुजर जाना
कभी याद बनकर दिल में आये
कभी आंसू बनकर आंखों में आये
कैसे बताऊँ हाल क्या है दिल का
आज़म अंदर से टूटा है कितना
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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