राजगुरु सुखदेव भगत सिंह | Kavita Rajguru Sukhdev Bhagat Singh

राजगुरु सुखदेव भगत सिंह

( Rajguru Sukhdev Bhagat Singh )

 

 

हिम्मत बुलंद अपनी, पत्थर सी जान रखते हैं।
दिल में बसाए हम, प्यारा हिंदुस्तान रखते हैं।

 

क्या आंख दिखाएगा कोई, हमवतन परस्तों को।
हम सर पे कफन हथेली पे, अपनी जान रखते हैं।

 

रख हिमालय सा हौसला, सागर सी गहराई है।
क्रांतिकाल में वीरों ने, प्राणों की भेंट चढ़ाई है।

 

हंसते-हंसते झूल गए वो, क्रांतिवीर कमाल हुए।
राजगुरु सुखदेव भगतसिंह, वीर मां के लाल हुए।

 

आजादी के दीवाने थे, गोला बारूदों में चलते थे।
देशप्रेम मतवाले वीर, आंधी तूफानों में पलते थे।

 

अंग्रेजी हुकूमत की जिसने, सारी जड़े हिलाई थी।
राष्ट्रप्रेम की घर घर में, वीरों ने अलख जगाई थी।

 

तूफानों से टक्कर लेते, जोश रगों में भर भरपूर।
हर मंसूबे दुश्मनों के, पल में करते चकनाचूर।

 

क्रांतिवीर मतवाले झूमे, फांसी के फंदे चूम गए।
अमर सपूत भारत मां, के दुनिया में मशहूर हुए।

 

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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