Kavi ke vishay par kavita
Kavi ke vishay par kavita

जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि

( Jahan na pahunche ravi vahan pahunche kavi ) 

 

जहां नही पहुंच पाये रवि,
पहुंच जाते वहां पर कवि।
दिख जाती है उनकी छवि,
जो होता लेखक एवं कवि।।

 

सोच-समझकर लेता काम,
लिख देता वह मन के भाव।
मन की बात दर्शाता है कवि,
कविता से संदेश पहुंचाता कवि।।

 

कल्पनाओं से वह सोचकर,
बहुत गहराईयों में पहुंचकर।
कविताएं लिखता जाता है,
और काव्य-पाठ मे सुनाता है।।

 

रात और दिन वों लगा रहता,
दिमाग के वह घोड़ें दौडाता।
शाम-सुबह का पता न चलता,
चार बार लिखता और पढ़ता।।

 

खाते-पीते और उठते-बैठते,
हर समय गुनगुनाता ही रहता।
राग लय सुर शब्द वह मिलाता,
और कविताएं लिखता जाता।।

 

इसलिए तो कहते है भैया,
कवि से पंगा नही लेना भैया।
जहां नही पहुंच पाये रवि,
पहुंच जाते है वहां पर कवि।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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