होली के दिन
( Holi ke din )
छोड़िए शिकवे गिले खटपट सभी होली के दिन।
अच्छी लगती है नहीं ये बेरुखी होली के दिन।।
वो हमारे पास आकर कान में ये कह गये,
आदमी को मानिए न आदमी होली के दिन।।
चार दिन की जिन्दगी ही पाई है हमने, सभी,
इश्क के रंग में नहा लो आप भी होली के दिन।।
खोल कर दिल, मैं बिछा दूंगा तुम्हारी राह पर,
भूल से ही ‘शेष’ आ जाना कभी होली के दिन।।
जैसे ही दिया जला आवाज़ आई कब्र से,
मैं भी होली खेलूंगा सुन महजबीं होली के दिन।।