Poem Holi Hai
Poem Holi Hai

होली है

( Holi Hai )

 

चादँ ने पूछा चादँनी से क्या है आज
चाँदनी बोली होली है
चन्दन की खुशबू लाई सुबह हवा आज
गुलाल से हर फरद सरशारे रवाँ आज
दुश्मन को भी गले लगाये आज
ऊँच नीच का भेद मिटाये आज
सबमे प्यार व मोहब्बत जगाये आज।।

होली मुबारक🌹🌹

 

लेखिका :डा0 जहाँ आरा

लखनऊ

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